Tuesday, October 26, 2010

Where are the old cities?




सीढ़ी, सड़कों, दीवारों से.
गलियों, कूचों, बाज़ारों से.
आँगन और चौखट और नुक्कड़,
चारास्तों से, चौबारों से.

मंदिर तक जाते रस्ते से,
जो घाट पे जा कर गिरता था.
गलियों को छेड़ के जो उनके,
आगे-पीछे को फिरता था.

उस छत से जिस की गोदी में,
सर्दी की धूप सो जाती थी.
जहाँ शाम ढले अनगिनत पतंगे,
उतर समर में आती थीं.

फिर पूछा रुक-रुक कर मैंने,
हाट की सब दूकानों से.
जहाँ सौदा करते आये थे,
कभी रुपये, कभी चार आनों से.

पर नहीं मिला, अब किसे याद,
अब कौन पता दे सकता है?
था शहर पुराना वैसे भी,
बिक गया, कबाड़ था, अच्छा है.